बेटियाँ

विधा-पद्य
छंद मुक्त कविता - "बेटियाँ"

बेटियाँ

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बेटियाँ अनमोल होती हैं,
वे माता पिता की जान होती हैं,
उन्हें पढ़ाइए, लिखाइये,
जीवन की ऊंँचाइयों, पर पहुँचाइए।

बेटियाँ सीता सी पवित्र होती हैं,
गंगा सी निर्मल होती हैं,
दुर्गा सी सशक्त होती हैं,
सावित्री सी दृढ़ संकल्पित होती हैं।

वे माता की ममता हैं,
वे पिता की शान हैं,
भाई का गौरव हैं,
वे घर का सम्मान हैं।

उन्हें सँभाल कर रखिए,
ले अपनी दादी की आन हैं,
तो दादा का जहान हैं,
सच मानो बेटियाँ... ईश्वर का वरदान हैं।।

डॉ मंजुला सिंघल
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

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