तरबूज़

विधा-पद्य
छंद मुक्त बाल-कविता - "तरबूज़"

तरबूज़

------
राजस्थान के पानी का जहाज होता है ऊँट जैसा
जिसकी पीठ के कूबड़ पर बैठा व्यक्ति लगता है पायलेट जैसा।
मीठा -मीठा लाल- लाल होता है तरबूज़।
बड़े सब खाएँ, छोटे भी खाएँ
खाकर अपनी प्यास बुझाएँ
कॉकटेल पियें, जूस पियें
मस्त हो जीवन को जीएंँ।
ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करे तरबूज़
पानी की कमी को दूर करे तरबूज।
वजन को नहीं ये बढ़ने देता
नेत्र ज्योति को भी बढ़ा ही देता।
सुंदर- सुंदर त्वचा बनाता
दिल को यह मजबूत बनाता।
बरफी बनाओ चाहे हलुआ,
मर्ज़ी हो तो सोंफ सुपारी बनाओ, बीज छील कर पाग जमाकर जन्माष्टमी की खुशी मनाओ।
सुनो-सुनो कर लेना कुछ परहेज, पानी नहीं पीना, दही मत खाना, दूध को तो हाथ न लगाना।
फिर देखना इसका कमाल
गर्मी में कैसे मचाता है धमाल तरबूज होता है बड़ा बेमिसाल।।

डॉ मंजुला सिंघल
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

Share
About Us

More info...

Ravi Jindal

Sarni, Dist Betul MP

9826503510

agrodayapatrika@gmail.com

Follow Us
Photos

© agrodaya.in. Powerd by Ravi Jindal