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नशा तो नाश की जड़ है।

नशा तो नाश की जड़ है

विधा-गद्य
लेख - "नशा तो नाश की जड़ है।"

नशा तो नाश की जड़ है

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जिस देश का युवा वर्ग किसी भी प्रकार के बीड़ी सिगरेट, स्मेक, हीरोइन, नशे जैसे किसी भी व्यसन में डूब गया हो तो उस देश के भविष्य का तो भगवान ही मालिक है।

हर प्रकार का नशा हानिकारक होता है।प्रायः देखा जाता है कि समाज के निम्न वर्ग में तथा उच्च वर्ग में ही नशा बहुतायत से मिलता है।कारण यह है कि निम्न वर्ग तो अपने तनाव दूर करने के लिए तथा उच्च वर्ग अपना शौक पूरा करने के लिए, समाज में अपनी झूँठी प्रतिष्ठा कायम करने के लिए नशा करता है।

यदि कारण ढूंढे तो इस सबके लिए पुलिस, समाज एवं सरकार जिम्मेदार है, जैसे कि पुलिस इसे अपराध न मानकर इसे अनदेखा कर देती है।सरकार कुछ राजनीतिक कारणों से इसे रोकने में असमर्थ है।
साथ ही समाज का एक वर्ग यह कहकर कि हम क्या कर सकते हैं उदासीनता दिखाता है।

जबतक हमसब इस बुराई के प्रति सजगता नहीं दिखाएंगे तबतक इसे समाज से दूर नहीं भगा सकते।इसके लिए आवश्यक है कि परिवार में माता पिता द्वारा बच्चों में संस्कार विकसित किए जाएं, उन्हें एकाकीपन से रोका जाए, उनके लिए हमें समय निकालना होगा विद्यालयी शिक्षा को भी नैतिकता से जोड़ना होगा।

समाज को भी ऐसे परिवारों का बहिष्कार करना होगा।
सरकार को भी समाज में व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के प्रयास करने होंगे क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। अंत में मैं अपनी बात कुछ पंक्तियों में समाप्त करूँगी।

इंसान जो नशे से दूर ही रहता, वही जिंदगी भरपूर है जीता, देता दिशा समाज को है वह, बनता देश का गुरुर है वह।।

डॉ मंजुला सिंघल
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

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