परिचय
मैं संगीता अग्रवाल राजस्थान के एक मारवाडी परिवार से तालुक रखती हूँ मेरा जन्म चंडीगढ़ मे हुआ ।
शादी ग़ाज़ियाबाद मे और अभी अपने जन्मदाता की देखभाल को उनके पास दिल्ली रह रही हूँ।
एक बेटी एक पत्नी एक मां एक अध्यापिका पर इन सबसे पहले एक नारी हूं।
पढ़ना मेरा जुनून था पर पारिवारिक कारणों से शादी जल्दी हो गई और मां भी बन गई ।
पर पढ़ाई का जुनून कम ना हुआ। किसी तरह अपनी पढ़ाई दुबारा शुरू की और एक अध्यापिका बन गई।
बचपन से शौक था कुछ अलग करने का एक जिद एक जुनून था जिसे शब्दों में उकेरती थी कविताओं की शकल देती थी।
पर वो शब्द किसी डायरी में लुप्त रहते थे। फिर धीरे धीरे मंच मिला जब सोशल मीडिया से जुड़ी पर प्यास अधूरी थी।
फिर विभिन्न मंचों पर लिखना शुरू किया पहले कविताएं फिर लॉकडाउन में कहानियों पर हाथ आजमाया।
पाठकों की सराहना मिली तो उत्साह दोगुना हो गया। मुझे सामाजिक मुद्दों , महिला उत्थान के विषयों या ऐसे विषयों पर लिखने का शौक है जिससे कोई प्रेरणा मिले ।
ज्यादातर कहानियां सकारात्मक अंत के साथ खत्म करती हूं। जीवन पर्यंत लिखना चाहती हूं।
भले मैं अध्यापिका हूं पर लेखन के मामले में अभी भी खुद को विद्यार्थी मानती हूं जिसे अभी बहुत कुछ सीखना है और बहुत आगे तक जाना है क्योंकि प्यास अभी भी अधूरी है