कहानी

वीरान शहर वीरान गली

वीरान शहर वीरान गली

ये क्या अजय मोहल्ले मे इतनी वीरानी सी क्यो छाई है ?
पायल जो अपने पति अजय के साथ कई सालों बाद विदेश से लौटी थी बोली।

" पता नही पायल ये सब क्या है ...देखो वो चमन काका कितने बूढ़े और अशक्त नज़र आ रहे है !" अजय आस पास निगाह दौड़ता हुआ बोला !
" और वो देखो जमुना काकी को कैसे अस्थि पंजर सी नज़र आ रही है !" पायल एक महिला की तरफ इशारा करती बोली।
" बड़ी अजीब बात है जो मोहल्ला सात साल पहले गुलजार था  वहां अब सन्नाटा है !" अजय हैरानी से बोला ।

यूँही बात करते करते दोनो घर मे दाखिल हुए।

" अरे मेरे बच्चों तुम लौट आये मुझे पता था तुम जरूर लौटोगे !" अजय की माँ शारदा जी बेटे को देख खुश होते हुए बोली।
" माँ ये क्या हुआ आपको इतनी कमजोर कैसे हो गई आप ....और ये सारे मोहल्ले मे इतना सन्नाटा क्यो पसरा है ?" अजय बोला।
" बेटा मोहल्ले के सभी बच्चे एक एक कर चले गये यहाँ से कोई नही बचा !" शारदा जी नम आँखों से बोली।
" चले गये ...पर कहाँ?" अजय हैरानी से बोला।

" कोई विदेश गया था कोई बड़े शहर गया था माँ बाप ने अपना पेट काट बच्चो को पढ़ने भेजा था पर अब वही बच्चे नौकरी करने लगे तो वापिस नही आना चाहते इस छोटे शहर मे क्योकि उन्हे लगता है यहाँ है क्या ना ढंग का रोजगार् ना घर बार इसलिए वही शादी करके बस गये !" शारदा जी बोली।

वीरान शहर वीरान गली

शारदा जी की बात सुन अजय और पायल का सिर शर्म से झुक गया

क्योकि उन्होंने भी तो यही कहा था अपने माँ बाप से।
असल मे अजय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई करने दिल्ली गया था सिमित आमदनी के बावजूद उसके पिता ने उसे पढ़ने भेजा फिर उसको अमेरिका की स्कालरशिप मिल गई और वो वही का हो कर रह गया वही उसकी मुलाक़ात वही पढ़ने वाली पायल से हुई और दोनो ने शादी कर ली।

शादी के बाद अजय और पायल आये थे माँ बाप का आशीर्वाद लेने पर माँ बाप को लेने नही। एकलौते बेटे के गम मे अजय के पिता ने ऐसी चारपाई पकड़ी के उठ ही ना सके और सात साल पहले स्वर्ग सिधार गये तब अजय और पायल दूसरी और अंतिम बार आये थे माँ को आश्वासन देकर गये थे कि जल्द उन्हे वही बुला लेंगे पर ऐसा हुआ नही।

पता नही हमारे संस्कारो मे कमी रह जाती है या आज की पीढ़ी स्वार्थी हो गई है कारण जो भी हो पर बच्चे माँ बाप से दूर होते जा रहे है तन से भी मन से भी।

तनो की दूरी तो कोई पाट भी ले पर मनो की दूरी ना तो उस दूरी को पाटने दे रही है ना बूढ़े माँ बाप की तकलीफ का ख्याल करते है कुछ बच्चे हालांकि सब एक से नही पर आजकल ज्यादातर की यही सोच हो रही है ।

नौकरी , व्यापार मे तरक्की किसे नही भाती पर उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाते है माता पिता जीवन की संध्या बेला मे एकांकी जीवन बिता और कई बार तो एकांकी मौत भी।

" पर माँ वो नही आना चाहते लेकिन ये सब तो जा सकते है ना उनके पास !" पायल दबी आवाज़ मे बोली फिर अपने बोले शब्दों से ही शर्मिंदा हो गई।

" हम बूढ़े वृक्षों को कौन ले जाना चाहता है भला ? वैसे भी इस उम्र मे अपनी जड़ो से कटेंगे तो कहाँ जिंदा रहेंगे। हम तो बस दिन काट रहे अपनी मौत के इंतज़ार मे ...एक समय ऐसा आएगा ये मोहल्ला तो क्या इस जैसे कितने ही छोटे छोटे शहर वीरान हो जाएंगे क्योकि कोई नही होगा वहाँ अपनी हंसी से वातावरण को गुंजाने वाला , ना बच्चो के खेल होंगे ना दादा दादी की कहानियां ना ही बुआ , चाचा , मौसी ,मामा जैसे रिश्ते बच्चों को पता होंगे । वो सिर्फ पति पत्नी और बच्चे के रिश्ते पहचानते होंगे !" शारदा जी बोली।

" नही नही ऐसा नही होना चाहिए माँ बाप तो हम भी है क्या हम भी एक समय ऐसे ही अंधेरी जिंदगी जियेंगे ...हमारे बच्चे भी हमें छोड़ जाएंगे !"
" पायल ..पायल ये क्या बड़बड़ कर रही हो...कौन किसको छोड़ कर जा रहा है ?" अजय ने पायल को झकझोड़ा।।
पायल नींद से जागी तो खुद को अपने बिस्तर पर पाया ..." ओह्ह मतलब ये सपना था " वो खुद से बोली।

" हां सपना ही देख रही थी तुम पर क्या ?" अजय ने पूछा।
" अजय ये सपना नही था आने वाले कल की आहट थी !" ये बोल पायल ने अजय को अपना सपना बताया।
" ओह्ह पायल ये तो वाकई मे हकीकत है अगर सब नौकरी के लिए विदेशो या शहरों का रुख करेंगे तो हमारे वो घर जिनमे हमारा बचपन बीता वो तो वीरान हो जाएंगे !" अजय चिंतित हो बोला। " हमें कुछ करना होगा ये सपना शायद ईश्वर का एक इशारा है हमारे लिए  !" पायल कुछ सोचती हुई बोली।
दोनो ने बहुत जोर लगाया और एक नतीजे पर पहुंचे ...और अपनी अपनी नौकरी का नोटिस पीरियड पूरा कर नौकरी छोड़ दी और अपने बच्चे के साथ भारत लौट आये ।
शारदा जी का घर गुलजार हो गया। यहां आ उन्होंने बहुत मेहनत कर एक प्लांट खड़ा किया जिसमे उन्हे बहुत से लोगो की सहायता लेनी पड़ी ,
कई लोन लेने पड़े पर आखिरकार अपने शहर मे नई पीढ़ी को रोजगार मुहैया कराने का उनका लक्ष्य पूरा हुआ ।

अब उस शहर के सारे तो नही कुछ युवा तो कम से कम वहाँ रुकेंगे । कम से कम शहर वीरान तो नही होगा।
पायल के एक सपने ने जहाँ एक शहर की सूरत बदल दी वहीं कितने माँ बाप की आस उनके बच्चे उन्हे लौटा दिये।

वीरान शहर वीरान गली

दोस्तों ये एक काल्पनिक कहानी है पर आज की हकीकत भी है ।

आज के ज्यादातर युवा विदेश या बड़े शहरो की तरफ रुख करते है फिर वही की चकाचौंध मे खो जाते है अच्छी बात है तरक्की सब करना चाहते है
पर सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि सब बड़े शहरों या विदेशो मे रहेंगे तो छोटे शहरों या गाव का क्या होगा। उन युवाओं के माँ बाप का क्या होगा।
अगर सभी युवा ऐसा करने लगे तो छोटे शहरों या गांव का अस्तित्व तो समाप्त हो जायेगा ना ।
आये दिन पढ़ते है किसी बुजुर्ग की घर मे हत्या हो गई या मौत के बाद शव सड गया क्या इस कीमत पर तरक्की जायज है ?
आपमें से कुछ लोग मेरी सोच से इत्तेफाक नही रखते होंगे ..रखनी भी नही चाहिए क्योकि सबकी सोच अलग है पर ये सच है कि
हर सिक्के के दो पहलू होते है और हर इंसान की अपनी सोच ।

अंत मे ...

मेरे शहर मेरे गाँव की हर गली वीरान हो गई
वो बच्चो के खेल वो मस्ती कही खो गई।
वो चौपाले वो बुजुर्गो के चेहरे की हंसी
झुरियों और चिंता के बोझ तले सो गई।
अब मेरे गाँव मे नही लगते बच्चों के लिए मेले
क्योकि आज की पीढ़ी शहर वाली हो गई।

आपकी दोस्त
संगीता

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