दोहा

अर्थ बड़ा बलवान

विधा- पद्य
(कुंडलिया छंद)

अर्थ बड़ा बलवान

अर्थ बड़ा बलवान

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अर्थ बड़ा बलवान
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देता सुख सुविधा सभी, अर्थ बड़ा बलवान।
अर्थ बिना संसार में, मिले नहीं सम्मान।।
मिले नहीं सम्मान, सताए दुनिया सारी।
माया रचती खेल, करा दे सबसे यारी।।
विपदा सकल जहान, अर्थ "रजनी" हर लेता।
धन में शक्ति अपार, सभी सुख-सुविधा देता।।


होनी टाले कब टली

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होनी टाले कब टली
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होनी टाले कब टली, लाख करो जप-ताप। होनी का परिणाम ही, देता सुख- संताप।। देता सुख- संताप, भाग्य जन बदल न पाए। भेज राम वनवास, अवधपति प्राण गँवाए।। सबको है संज्ञान, समय की चाल घिनौनी। नियत समय,तिथि,वार, टली कब टाले होनी।।


इच्छाओं के दास

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इच्छाओं के दास
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माया मिथ्या जाल है, मृगतृष्णा सी प्यास।
इच्छाओं के दास हैं, वैभव, काम, लिबास।।
वैभव काम लिबास, भोगते अंधे होकर।
करते हैं व्यभिचार, कलयुगी रावण बन कर।।
बचा न निज परिवार, अहं में राज्य गँवाया।
नैतिकता का ह्रास, कराती मिथ्या माया।।


बिगड़े बोल पटेल के

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बिगड़े बोल पटेल के
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बिगड़े बोल पटेल के, टिका नहीं अभिमान।
स्वर्ण कलश मदिरा भरा, पाता कभी न मान।।
पाता कभी न मान, कर्म निज आगे आए।
राह धर्म की छोड़, भोग माया पछताए।।
खोले "रजनी" पोल, वक्त से ऐसे पिछड़े।
पगड़ी लगी न हाथ, काम सब बनते बिगड़े।।


बरसाने की राधिका

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बरसाने की राधिका
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बरसाने की राधिका, मोहन की चितचोर।
करे ठिठोली बावरी, शोर मचा चहुँ ओर।।
शोर मचा चहुँ ओर, फाग तन अगन लगाए।
भर आनंद विभोर, नवेली प्रीत लुटाए।।
ले पिचकारी श्याम, आज मिल चले छकाने।
छोड़ा गोकुल धाम, चली राधा बरसाने।।


डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
वाराणसी (उ.प्र.)

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